Mahabharat Krishna Quotes in Hindi – मानव जाति के लिए हमेशा से बेहद मददगार साबित होने वाले सबसे बड़े महाकाव्यों में से एक, महाभारत ज्ञान और बुद्धि का एक विशाल खजाना है। जो की लड़ाई-झगड़े के सर्वव्यापी आधार के नीचे, शिक्षाओं और पाठों का एक अनंत समुन्दर की तरह है। महाभारत के अंदर प्रेम, ईर्ष्या, घृणा, वासना, लाचारी, लालच और शक्ति के असली सार को बहुत ही शानदार तरीके से कैद किया गया है। जिससे की आज की नौजवान पीढ़ी और यहां तक की हर एक इंसान की ज़िंदगी में आज भी चार-चांद लग सकते हैं
इसलिए, आज मैं आप सभी के लिए भारत के इस भव्य महाकाव्य महाभारत के 50+(Mahabharat Krishna Quotes in Hindi) अनमोल सुविचार लेकर के आया हूं जो आपकी ज़िंदगी में आपके लिए थोड़ी और Clarity जोड़ देंगे। फिर चाहे आप अभी स्कूल या कॉलेज जानें वाले Student हो या फिर चाहे ज़िंदगी के किसी भी मोड़ पर क्यों न हो आपको इन Famous Mahabharata Quotes in Hindi को ज़रूर से पढ़ना चाहिए, ताकी आप भी अपनी इस खूबसूरत सी जिंदगी को और अधिक नए तरीके से देख पाएं,
Mahabharat Krishna Quotes in Hindi for Success and Happy Life | Mahabharata ke Top 50+ Suvichar

उससे कभी मत घबराओ जो हकीकत में है ही नहीं, जो ना कभी था और ना कभी होगा, जो हकीकत में है, वो हमेशा से था और उसे कोई भी खत्म नहीं कर सकता।
जिस भी राजा की प्रजा हर वक्त कर की वजह से हर दिन दुःखी रहे, और जिसे की अलग-अलग तरह के अनर्थ सहने पड़ते हैं, ऐसे सभी राजा की हमेशा से ही हार होती है।
दो तरह के लोग इस दुनियां में स्वर्ग के भी ऊपर बसे हुए होते हैं-
एक वो जो ताकतवर होने के बावजूद भी सामने वाले को माफ कर देते हैं
और दूसरा जो की बुरे होकर भी कुछ दान-पुण्य के काम करते रहते हैं।
जिस तरह से तेल के खत्म हो जाने पर जला हुआ दीपक भी बुझ जाता है,
उसी तरह से कर्म के कमज़ोर हो जाने पर भाग्य भी ख़राब हो जाता है।
जिस तरह से सूखी पड़ी लकड़ी के साथ मिली होने पर गीली लकड़ी भी आग से जल जाती है, ठीक वैसे ही गलत लोगों के साथ अपना संबंध बनाने से सज्जन लोग भी एक न एक दिन दुःख ज़रूर भोगते है।
सिर्फ मन ही वो होता है जो किसी को भी आपका दोस्त और दुश्मन बना सकता है
एक ऐसा इंसान जो अपनी सभी इच्छाओं को छोड़ देता है, वो फिर हमेशा के लिए मैं और मेरा की इस लालसा और भावना से बिल्कुल मुक्त ही हो जाता है। और वही एक होता है जिसे की परम शान्ति मिल पाती है।
तुम सिर्फ कर्म करते जाओ,
फल की चिंता बिल्कुल मत करो।
सच्चा धर्म हमारे लिए यही है कि जिन भी बातों को व्यक्ति अपने लिए अच्छा नहीं समझता उसको फिर वही सब कभी दूसरों के लिए भी नही करना चाहिए।
कभी भी किसी का भी सहारा लिए बिना कोई ऊंचा नहीं चढ़ सकता इसीलिए सबको हमेशा किसी प्रधान सहारे का ही सहारा लेना चाहिए।
अपनी महानता के लिए आप चाहे कितने ही तरीके आज़मा लें, मगर मेहनत के बिना इस दुनियां में सब कुछ सादा है।
जीत की इच्छा रखने वाले शूरवीर अपनी ताकत और पराक्रम से वैसी जीत हासिल नही कर सकते, जैसी की वे सत्य, सज्जनता, धर्म और उत्साह से प्राप्त करते हैं।
उदासी में जिसका मन दुःखी नहीं होता, सुखों में जिसकी आसक्ति नहीं होती और जो राग, डर व गुस्से से रहित होता है, वही स्थिर बुद्धि का होता है।
जिस तरह से बिना नाविक की नाव जहाँ कहीं भी पानी में बह जाती है, और बिना सारथी का रथ चाहे जहाँ चाहे वहां भटक सकता है, उसी तरह से सेनापति के बिना सेना का जहाँ मन चाहे वो वहां भाग सकती है।
मिले हुए पैसों का इस्तेमाल करने में दो गलती हो जाती हैं, जिन्हें हर किसी को ध्यान में रखना ही चाहिए। एक है अपात्र को पैसा देना और दूसरा है सुपात्र को पैसा न देना।
जो मुसीबत पड़ने पर कभी दुखी नहीं होता, बल्कि सावधानी के साथ उद्यम का सहारा लेता है और वक्त आने पर दुख भी सह लेता है, उसको उसका दुश्मन कभी भी पराजित नही कर सकता।
राजधर्म एक नांव के जैसा है, ये नांव धर्म रूपी समुंदर में बसा है। और अच्छे गुण ही उस नांव का संचालन करने वाली ताकत है, और धर्मशास्त्र ही उस नांव को बांधने वाली रस्सी है।
मीठे शब्दों में कही हुई बात कई तरह से आपका भला करती है, मगर यही अगर ख़राब शब्दों में कही जाए तो एक विशाल अनर्थ की वजह बन जाती है।
समय सब कुछ बनाता है और समय ही सब कुछ नष्ट कर देता है। समय सभी प्राणियों को जला देता है और समय ही फिर से उस आग को बुझा भी देता है।
एक पिता के लिए इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है जब उसका बेटा उसके पास दौड़ता हुआ आता है और उसे अपनी छोटी-छोटी भुजाओं से पकड़ लेता है, बेशक उसका शरीर धूल और गंदगी से भरा होता है।
पुरुष बारी-बारी से सुख-दुख का अनुभव करते हैं। कोई भी इन्सान कभी भी मिश्रित सुख का आनंद नहीं लेता है। एक बुद्धिमान व्यक्ति, उच्च ज्ञान रखने वाला, यह जानकर कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही हैं, और ये न तो आनंद से भरा होता है और न ही दुःख से। जब सुख आए तो उसका आनंद लेना चाहिए और जब दुख आए तो उसे सह लेना चाहिए।
यक्ष: पुरुषों का अजेय शत्रु क्या है? उनका स्थायी रोग क्या है? ईमानदार कौन है? बेईमान कौन है?
युधिष्ठिर: गुस्सा सबसे अजेय शत्रु है। लालच लाइलाज रोग है। वह जो सभी प्राणियों के अनुकूल है वह ईमानदार है। और जो क्रूर है वह बेईमान है।
ना समझ लोग भविष्य में क्या हो सकता है, इस पर ध्यान दिए बिना ही अपना काम शुरू कर देते हैं।
इंसान किसी भी परिस्थिति में जो भी कर्म करता है, उसे उन कर्मों का फल जिस भी परिस्थिति में किया जाता है, उसे प्राप्त ज़रूर होता है।
दुनिया में दोस्ती कभी किसी के दिल में बिना थके नहीं रहती, वक्त उसे घिसता है, क्रोध उसे नष्ट कर देता है। गरीब अमीरों का मित्र नहीं हो सकता, अनपढ़ विद्वान का मित्र नहीं हो सकता, और कायर भी वीरों का मित्र नहीं हो सकता है।
क्रोध बुराई का एक कड़वा तरीका है, यह सिर में रोग का कारण बनता है, प्रसिद्धि को नष्ट करता है, और पाप कर्मों का स्रोत है। इसे एक अच्छे आदमी द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए और जो इसे नियंत्रित नहीं करते हैं वे बुरे लोग हैं।
युद्ध सबका विनाश करता है, पाप करता है, नरक बनाता है, जीत और हार का एक समान फल देता है।
समझदार इंसान को कभी भी राजा की पत्नी के साथ या उसके दूसरे सेवकों के साथ मित्रता नहीं करनी चाहिए, न ही उनसे जो उसके शत्रु हैं।
सुखद रूप, हर्ष से भरा हृदय और मधुर वचन अतिथि के कारण होते हैं। हमेशा उठकर, मेजबान को अतिथि की ओर बढ़ना चाहिए, वह उसे आसन दे, और विधि से उसकी इज्जत करे। यही सनातन धर्म है
जो क्रोध इस संसार में है, मानव जाति के विनाश की सबसे बड़ी जड़ है, क्रोधी इंसान पाप करता है; क्रोधित इंसान अपने गुरु की हत्या करता है; क्रोधित इन्सान कठोर शब्दों से अपने पक्षकारों का अपमान करता है। क्रोधित इंसान यह भेद नहीं कर पाता कि उसे क्या कहना चाहिए और क्या नहीं। ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे क्रोधित इंसान न कह सकता हो और न ही कर सकता हो।
इंसान को कभी भी दूसरों के साथ वैसा नहीं करना चाहिए, जो वह अपने साथ दूसरों के द्वारा करना पसंद नहीं करता।
जो पुरुष वीर, सदाचारी और सबसे श्रेष्ठ होते हैं, जिन्होंने अपने दुश्मनों को पराजित किया है, वे न तो कठोर शब्दों से खुद पर गर्व करते हैं और न ही अपशब्दों में लिप्त होते हैं।
जुनून, जुड़ाव, कौशल और नीति – ये हर उद्देश्यों को पूरा करने के सबसे अच्छे साधन हैं
कोई किसी का दोस्त नहीं है, कोई किसी के हित को नहीं देखता, बल्की इंसान हित के उद्देश्यों से ही मित्र या शत्रु बनते हैं।
सुख के बाद दुख आता है और दुख के बाद सुख, इंसान को न तो हमेशा दुख होता है और न ही हमेशा सुख का आनंद मिल पाता है।
जो विजय की इच्छा रखते हैं, वे पराक्रम से उतना नहीं जीतते, जितना कि सत्य, करुणा, और सदाचार से। इसीलिए हमेशा बिना अहंकार के लड़ो, क्योंकि जहां धर्म है वहां जीत निश्चित है।
किसी के लिए हत्या करने से बेहतर है कि वह भिक्षा पर जिए।
इस दुनिया में जन्म से पैदा होने वाले रिश्ते से गुणवानों का रिश्ता ज्यादा ज़रूरी है।
इंसान का शरीर रथ के समान है, उसकी आत्मा, उसका चालक है; और उसकी इंद्रियां, घोड़े हैं। अच्छी तरह से प्रशिक्षित होने पर उन बेहतरीन घोड़ों द्वारा खींचे जाने पर, जो बुद्धिमान और धैर्यवान होता है, वह शांति से अपने जीवन की यात्रा करता है।
पुरुष उन चीजों में अच्छा निर्णय खो देते हैं जो उनकी रुचि से संबंधित होती हैं।
युद्ध में बहुत सी बुराइयाँ होती हैं: पहला और सबसे महत्वपूर्ण वध है। जीत हमेशा अनिश्चित होती है। यह संयोग पर निर्भर करता है। और जीत हासिल करने वालों को भी हार झेलनी पड़ सकती है।
बातचीत और दूसरे माध्यमों से जो सफलता मिलती है, वही सबसे अच्छी होती है। दुश्मनों के बीच एकता का अभाव पैदा करने से जो सफलता प्राप्त होती है वह अस्थायी होती है। लड़ाई से मिली सफलता सबसे खराब है।
जुनून, भय या लालच के प्रभाव में कभी भी अच्छे कर्म करने का प्रयास न करें।
अगर विद्यार्थी में रुचि नहीं है तो शिक्षक क्या कर सकता है। ज्ञान एक बीज है। बस आपका मन उपजाऊ होना चाहिए।
सिर्फ किसी कार्य का परिणाम ही बता सकता है कि कार्य शुभ या अशुभ समय पर शुरू हुआ है या नहीं।
अगर आप कोई काम शुरू करते हैं, तो उसके पूरा होने के बाद ही आराम करें; नहीं तो अधूरा काम आपको खत्म कर देगा।
सुख की लालसा इंसान को मोहित कर लेती है, और फिर धीरे-धीरे उसमें राग और क्रोध उत्पन्न कर देती है।
शब्द अमूल्य हैं, अगर ज़रूरी हो तो उन्हें बोलें। और उन्हें बोलने से भी पहले उन्हें ध्यान से तौलें।
दूसरों के प्रति अपना कर्तव्य करो। यह समय की पुकार है। ध्यान रखो कि आपने जन्म क्यों लिया है।
जब इंतजार खत्म हुआ तो कौन याद करता है कि इंतजार कितना लंबा था या कितना मुश्किल था
दोस्ती में प्यार होता है। दोस्ती जीवन से बड़ी होती है। जिसने दोस्त का दिल जीत लिया उसने दुनिया जीत ली।
जो लोग समृद्ध होना चाहते हैं उन्हें बुरे दिमाग और बुरे दोस्तों से छुटकारा पाना चाहिए।
हिंसा से बुराई करना दुष्टों की शक्ति है, और क्षमा करके आगे बढ़ जाना ये पुण्य की शक्ति है।
मूर्ख वे हैं जो उसे सिखाने की कोशिश कर रहे हैं जिसे सिखाया नहीं जा सकता और जो उनकी बात सुनता है अविश्वास के साथ।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के इस Article – Mahabharat ke Anmol Vachan के अंदर मैं आप अभी के लिए 50+ Famous Mahabharat Krishna Quotes in Hindi लेकर के आया हूं, जिनसे की कोई भी इंसान अपनी जिन्दगी की हर बाधा का हल बेहद आसानी से निकाल सकता है। क्योंकि जिस तरह की मुश्किलें हजारों साल पहले महाभारत के युद्ध के दौरान देखने को मिली थी ठीक वैसी ही हमे आज भी अपनी ज़िंदगी में कही न कही देखने को मिल ही जाती है।
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